1
कर दे घोषना एक राम जी।
पाँचों साल आराम राम जी।
दावत खा ले का के हे चिंता।
हमरे तोला सलाम राम जी।
हावै बड़का जी तोर भाग ह,
पढ़ ले तैं हर, कलाम राम जी।
आने के काम म टाँग अड़ाना,
हावै बस तोर काम राम जी।
चारी – चुगली ह महामंत्र हे,
सुबह हो या हो शाम राम जी।
2
नँगरा मन हर पुचपुचाही , तब का होही?
अगुवा मन जब मुँहलुकाही, तब का होही?
पनियर-पातर खा के हम हर जिनगी जिथन,
धरती हर बंजर हो जाही, तब का होही?
सिरजन बर धरती के, हम जाँगर टोरेन,
आने मन ह मजा उड़ाही, तब का होही?
नेता अउ अफसर ल हुम चुहाये बर परथे,
चोर-चोर जब चोर चिल्लाही, तब का हो ही?
‘बरस’ सोंच ले कर, तैं हर कहे के पहली,
नदिया हर पानी पी जाही , तब का होही?
–बलदाऊ राम साहू
नँगरा= छोटे लोग, पुचपुचाही=आगे-आगे होंगे, मुँह लुकाही = मुँह छुपायेगा, पनियर= पातर रूखा-सूखा, जाँगर टोरेन = मेहनत किए,
आनेमन= दूसरे लोग, हुम चुहाये बर परथे = कुछ समर्पण करना पड़ता है।